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सहना नहीं अब कहना है, पुलिस की नई मुहिम


Noida:

जय हिन्द संवाद
नोएडा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर कमिश्नरेट पुलिस महिलाओं को जागरूक और सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। खास बात यह है कि यहां महिलाओं को जागरूक करने के लिए पुलिस ने नारा दिया है। सहना नहीं अब कहना है। इस संबंध में डीसीपी महिला सुरक्षा वृंदा शुक्ला ने बताया कि यह नारा जिले में महिलाओं को हिम्मत देने के लिए है। इसके अलावा उन महिलाओं को भी आगे लाने में मदद कर रहा है जो चुपचाप जुल्म, अत्याचार और बेरहमी सहती रहती है।

उन्होंने बताया कि सभी थाना क्षेत्रों में महिला सुरक्षा ईकाई द्वारा महिला जागरूकता एवं सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में बीते दिन थाना फेस-1 क्षेत्र के अंतर्गत प्राथमिक पाठशाला, सेक्टर-5, हरौला में महिला जागरूकता एवं सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डीसीपी महिला सुरक्षा वृंदा शुक्ला व एडीसीपी महिला सुरक्षा अंकिता शर्मा यहां महिलाओं को उनके अधिकार विस्तार से बताए। सभी महिलाओं को महिला सम्बन्धी अपराधों के बारे में जागरूक किया गया और किसी भी प्रकार के अपराध होने की दशा में पुलिस हेल्पलाइन के माध्यम से तुरंत पुलिस सहायता लेने भी जागरूक किया गया। उनके द्वारा महिलाओं को अपराध चुपचाप सहन ना करने व मामलें को तुरंत पुलिस के संज्ञान में लाने हेतु समझाया गया। महिलाओं को यह भी समझाया गया कि वह किन-किन मामलों में किस प्रकार वह तुरंत पुलिस सहायता ले सकती है। महिलाओं का साहस बढ़ते हुए उनके साथ पुलिस हेल्पलाइन नम्बर भी साझा किये गये। डीसीपी ने बताया कि आज 22 थाना क्षेत्रों में महिला सुरक्षा ईकाई द्वारा महिला जागरूकता एवं सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। जिसका उद्देश्य अधिक से अधिक संख्या में महिलाओं तक जागरूकता संदेश फैलाना एवं महिलाओं को प्रोत्साहित करना है। महिला थाना प्रभारी भी द्वारा भी जागृति लीला फाउंडेशन के सहयोग से अर्श कन्या गुरुकुल सोरखा सेक्टर-115 में महिला जागरूकता एवं सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।

गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पताल में बांटे फल
नोएडा। अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिला उन्नति संस्था(भारत) संगठन द्वारा चलाये जा रहे आठ दिवसीय महिला जागरूकता सप्ताह के सातवे दिन मिशन शक्ति विषय पर नारी सुरक्षा नारी सम्मान और नारी स्वावलंबन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि पर विचार गोष्ठी की गई। सेक्टर-30 स्थित गर्भवती महिलाओं को संस्था की ओर से फल वितरित किए गए। संस्था ने महिलाओं को बताया कि बेटी हो या बेटा, सब एक समान है । बल्कि बेटियां तो बेटो से भी अधिक आगे हर क्षेत्र में, चाहे शिक्षा हो, खेल कूद, सरकारी नौकरी हो,राजनीति, डॉक्टर आदि तक बड़ रही है । अत: जिस में बेटियां होती है, वह बहुत शाली घर होता है । महिलाओ। से सरकारी अस्पताल की सुविधाएं और उनके अधिकारों आदि के बारे में भी जागरूक कर, उनको समान दिया। । स्वास्थ्य संबंधित पोष्टिक आहार और फल आदि बांटे । अंत में सब बहनों ने कहा, नारी का करो समान, देश बनेगा महान महिला पुरुष आधी आबादी है।
एक समान ।की आगे बड़ रही है। विलेज छलेरा, सेक्टर 44 में छात्रों को शिक्षा जीवन में कितनी महत्वपूर्ण के विषय में बताते हुए उन्हें जागरूक किया । अगर देश की एक बेटी शिक्षित होती है, तो पूरा परिवार और समाज शिक्षित होता है । आप अपनी में सक्षम हो, आपको आत्म निर्भर और स्वलंबी बनाने के साथ अपने आस पास सबको जागरूक करना है । इस कार्यक्रम में उमा जैसवाल, उपाध्यक्ष और मीना देवी , महासचिव आदी बहने, नोएडा महा नगर इकाई की उपस्थित रही ।

महिलाएं निभाती है कई जिम्मेदारियां : डॉ. प्रियंका सिंह
जय हिन्द संवाद
नोएडा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को जागरूक करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। कुछ ऐसी भी महिलाएं है जो उनको घर बैठे ऐसे संदेश दे रहे है ताकि उनका हौसला बढ़ जाए। इसी कड़ी में एमिटी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डा. प्रियंका सिंह है। उन्होंने कहा कि नई तकनीकों और 21वीं सदी के बावजूद महिलाएं अभी भी अपने वैध अधिकार के लिए लड़ रही हैंढ्ढ हमारे समाज में महिला अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक एक अहम किरदार निभाती है। अपनी सभी भूमिकाओं में निपुणता दर्शाने के बावजूद आज के आधुनिक युग में महिला पुरुष से पीछे खड़ी दिखाई देती है।
वर्तमान युग को नारी उत्थान का युग कहा जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, आज हमारे देश भारत की महिलाएं हर क्षेत्र में अपना पताका फेहरा रही है, मौजूदा सरकारें भी महिलाओं को हर क्षेत्र में अपना भविष्य निर्माण करने का अवसर उपलब्ध करा रही हैं जो महिलाओं के विकास के लिए रामबाण साबित हो रहा है। वर्तमान में पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली नारी किसी पर भार नहीं बनती वरन अन्य साथियों को सहारा देकर प्रसन्न होती है, यदि हम सभी विदेशी भाषा एवं पोशाक को अपनाने में गर्व महसूस करते हैं तो क्या ऐसा नहीं हो सकता कि उनके व्यवहार में आने वाले सामाजिक न्याय की नीति को अपनाएं और कम से कम अपने घर में नारी की स्थिति सुविधाजनक एवं सम्मानजनक बनाने में भी पीछे ना रहे।

महिलाओं के उत्थान में भारत सरकार भी पीछे नहीं है। बीते कुछ सालों में सरकार द्वारा अनगिनत योजनाएँ चलाई गयी है जो महिलाओं को सामाजिक बेडिय़ाँ तोडऩे में मदद कर रही है तथा साथ ही साथ उन्हें आगे बढऩे में प्रेरित कर रही है।

सरकार ने पुराने वक़्त के प्रचलनों को बंद करने के साथ साथ उन पर क़ानूनन रोक लगा दी है। जिनमें मुख्य थे बाल विवाह, भ्रूण हत्या, दहेज़ प्रथा, बाल मजदूरी, घरेलू हिंसा आदि। इन सभी को क़ानूनी रूप से प्रतिबंध लगाने के बाद समाज में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधर आया है। महिला अपनी पूरी जिंदगी अलग अलग रिश्तों में खुद को बाँधकर दूसरों की भलाई के लिए काम करती है।

आज अगर महिलाओं की स्थिति की तुलना सैकड़ों साल पहले के हालात से की जाए तो यही दिखता है महिलायें पहले से कहीं ज्यादा तेज गति से अपने सपने पूरे कर रही है। पर वास्तविक परिपेक्ष में देखा जाए तो महिलाओं का विकास सभी दिशाओं में नहीं दिखता खासकर ग्रामीण इलाक़ों में। अपने पैरों पर खड़े होने के बाद भी महिलाओं को समाज की बेडिय़ाँ तोडऩे में अभी भी काफी लंबा सफर तय करना है। आज भी समाज की भेदभाव की नजऱों से बचना महिलाओं के लिए नामुमकिन सा दिखता है। ऐसा लगता है की पुरुष और महिला के बीच की इस खाई को भरने के लिए अभी काफी वक़्त और लग सकता है।

महिलाएं ही परिवार की एकमात्र स्तंभ हैं जो संघर्ष कर सकती हैं और सभी चीजों को समानांतर रूप से संभाल सकती हैंढ्ढ महिलाएं परिवार बनाती है, परिवार घर बनाता है, घर समाज बनाता है और समाज ही देश बनाता है। इसका सीधा सीधा अर्थ यही है की महिला का योगदान हर जगह है। महिला की क्षमता को नजऱअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है। शिक्षा और महिला ससक्तिकरण के बिना परिवार, समाज और देश का विकास नहीं हो सकता। महिला यह जानती है की उसे कब और किस तरह से मुसीबतों से निपटना है। जरुरत है तो बस उसके सपनों को आजादी देने की।

अब ये वक्त है सोच बदलने का क्योंकि एक सोच इंसान को बदलती है, इंसान घर को बदलता है, घर समाज को और समाज देश को और देश दुनिया बदलता है। इसलिए नारियों का सम्मान और विकास जरूरी है। अर्थात हम सभी को महिलाओं के उत्थान के लिए काम करने चाहिए और सभी को महिलाओं के प्रति सोच को बदलना होगा, तभी हम सही मायने में तरक्की कर सकेंगे और हमारा देश शक्तिशाली और विकसित देश में शुमार होगा।